मैं तेज तर्रार मुख्यमंत्री के जनपद की,
रहने वाली ब्लक बेल घाट में बसने वाली,
बहादुरपुर से कुरी तक सफर करने वाले जन जन के लिए नरक हूं,
मैं शंकरपुर की सड़क हूं।
बड़े-बड़े वाहनों के,
मैं चरण पकड़ कर कहती हूं,
थक गए राही तुम चलते-चलते,
कुछ विश्राम करो मां की गोदी में रहके,
क्योंकि मैं जन जन के लिए नरक हूं,
मैं शंकरपुर की सड़क हूं।
जलधार की कृपा से घाव मेरे भर जाते हैं,
हो या पैदल राही, कपड़े कीचड़ बन जाते हैं,
बचा-बचा कर चलते बच्चे,
फिर भी बसता ले गड्ढे में गिरते,
कहती हूं, सुन मेरे लाल,
मैं नरक हूं, मैं शंकरपुर की सड़क हूं।
इलेक्शन में रिएक्शन ना हो, मंत्री जी समझाते हैं,
चुनावी शंखनाद सुन, बरसाती में ढक कर आते हैं,
कस टाइट कर कुर्ते की, सबको यह समझाते हैं,
इस बार जिताओगे मुझको तो सारे कष्ट मिटा देंगे,
सड़क को गड्ढामुक्त करा देंगे,
पर मैं अब भी जन-जन के लिए नरक हूं,
मैं शंकरपुर की सड़क हूं।
आस लगाए बैठी हूं,
कब आओगे मेरे प्रीतम,
नित बिगड़े हाल, मेरी कुछ तो ख्याल करो,
प्रीतम, भोग रही मैं चिर नरक हूं,
मैं शंकरपुर की सड़क हूं,
मैं शंकरपुर की सड़क हूं।
मैं शंकरपुर की सड़क हूं “जन जन के लिए नरक हू -रामवृक्ष प्रजापति
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