गांव के बगीचे में प्रकृति की संरक्षण के साथ-साथ शुद्ध वातावरण भी मिलता था लोगों को। प्राकृतिक के द्वारा निर्धारित समय चक्र को भी ज्ञात करता था यह बगीचा, कोयल की बोली सावन महीने का झूला कजरी गीत, गांव के बागीचे में मनमोहित कर लेती थी बगीयो की ये हरियाली।