गोरखपुर जिले के बेलघाट क्षेत्र में 35 वर्षों से चली आ रही परंपरागत रामलीला में सीता स्वयंवर का आयोजन

गोरखपुर के बेलघाट क्षेत्र में स्थित श्री राधे बाबा हनुमान मंदिर के प्रांगण में आयोजित 35 वर्षीय परंपरागत रामलीला में सीता स्वयंवर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भगवान राम ने शिव जी का धनुष तोड़कर माता सीता से विवाह रचाया, जिसकी भक्तिभाव से दर्शकों ने प्रशंसा की। इस रामलीला में निषाद राज का किरदार विशेष रूप से आकर्षक रहा।

बिजली का बिल: छुपे हुए शुल्कों की कहानी

विद्युत वितरण कंपनी के एक अधिकारी दाढ़ी बनवाने सैलून गए और सैलून के बोर्ड पर लिखे दाढ़ी के अलग-अलग शुल्क पढ़कर आश्चर्यचकित हो गए। उन्होंने सैलून मालिक से शिकायत की, जिस पर सैलून मालिक ने बिजली बिल में छुपे हुए शुल्कों का हवाला देते हुए प्रत्युत्तर दिया। इसके बाद अधिकारी बिना दाढ़ी बनवाए ही लौट गए।

कोयल की सुर और मौसम का मिजाज, तय करते थे महिने — जैसे सावन की बदरीया,🌧️🌧️🌧️ रिमझिम बारिश , त्योहारों का शुरुआत

हम चर्चा कर रहे हैं बदलते गाँव की। लोगों का शहरों की ओर पलायन बढ़ रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता, गाँव को तेजी से विकास की ओर ले जा रही है। इस बदलाव में लोग आगे तो बढ़ रहे हैं, लेकिन पुरानी परंपराएँ धीरे-धीरे मिटती जा रही हैं।

गांव से लुप्त होते जा रहे हैं पुराने वृक्ष। वृक्षों का धरोहर माना जाता था गांव

गांव के बगीचे में प्रकृति की संरक्षण के साथ-साथ शुद्ध वातावरण भी मिलता था लोगों को। प्राकृतिक के द्वारा निर्धारित समय चक्र को भी ज्ञात करता था यह बगीचा, कोयल की बोली सावन महीने का झूला कजरी गीत, गांव के बागीचे में मनमोहित कर लेती थी बगीयो की ये हरियाली।

सूने घर आज भी राह देखते हैं.. वो बंद दरवाजे बुलाते हैं पर कोई नहीं आता…!!!!!

किसी दिन सुबह उठकर एक बार इसका जायज़ा लीजियेगा कि कितने घरों में अगली पीढ़ी के बच्चे रह रहे हैं? कितने बाहर निकलकर देवरिया , गोरखपुर, प्रयागराज , वाराणसी , लखनऊ , दिल्ली , नोएडा, गुड़गांव, पूना, बेंगलुरु, चंडीगढ़,बॉम्बे, कलकत्ता, मद्रास, हैदराबाद, बड़ौदा जैसे बड़े शहरों में जाकर बस गये हैं?