हम बदलें तो गाँव बदले…
बेलघाट का चौराहा, रापतपुर और भभया का चौराहा पहले से काफी बदल चुका है।
सिस्टम में जागरूकता की कमी के कारण सुधार नहीं हो पा रहा है। कौन आगे आएगा और सिस्टम की शिकायत करेगा? बेलघाट ही नहीं, अधिकांश पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी समस्याओं के लिए सरकार की योजनाएं लागू हो रही हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार लगातार पिछड़े क्षेत्रों को टेक्नोलॉजी से लैस कर रही है, चाहे स्वास्थ्य, पानी, गैस, शिक्षा या सड़क की समस्याएँ हों। सरकार उच्च गुणवत्ता के साथ इन समस्याओं का समाधान करने हेतु निरंतर प्रयासरत है। बदलते हुए चौराहे और गाँव, लोगों के संसाधनों की निरंतर बढ़ती मांग के कारण शहरों की कनेक्टिविटी तेज हो रही है। रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं, और लोग शहरों से धन अर्जित करके गाँवों को विकसित कर रहे हैं। खेती भी अब तकनीकी तरीके से की जा रही है। इन व्यवस्थाओं से गाँव और चौराहे तेजी से विकसित हो रहे हैं।
रापतपुर और भभया का चौराहा पहले विवादों में उलझा रहता था। आपसी सामंजस्य की कमी के कारण लड़ाई-झगड़े होते रहते थे। शहर से दूरी लगभग 50-55 किलोमीटर थी और सरजू की धारा बगल से प्रवाहित होती थी, जिससे विकास में बाधा आती थी। अब कम्हरिया घाट पर पक्का पुल बन जाने से क्षेत्र की काया पलट हो गई है। साथ ही गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे भी विकास की नई लकीर खींच रहा है। रापतपुर और भभया से सटे अनेकों गाँवों में सड़कों के साथ-साथ स्कूल और अस्पताल की व्यवस्थाएँ पूर्ण रूप से संचालित हो रही हैं। यह बदलता हुआ चौराहा अब रोजगार के नए संसाधनों का केंद्र भी बन रहा है।