पहली बारिश की बूंदे आसमान से बरस रहे आग की लपटों से थोड़ा दे सकता आराम|
आगे देखने वाली बात है मनुष्य प्राणियों पर मेघदूत कितना होते हैं मेहरबान
मानसून स्पेशल➡️ : कालिदास ने ‘मेघदूत’ में बादलों का जितना खूबसूरत वर्णन किया है वैसा शायद ही किसी ने किया हो।
कालिदास संस्कृत भाषा के सबसे महान कवि और नाटककार थ। कालिदास ने भारत की पौराणिक कथाओं और दर्शन को आधार बनाकर रचनाएं की। कालिदास अपनी अलंकार युक्त सुंदर सरल और मधुर भाषा के लिए विशेष रूप से जाने जाते।
वर्ण के स्वरूप का एक नजर आसमान पर इठलाते काले बादल, बारिश की आश वाली आंखों को उम्मीद देते है तो रिमझिम फुहारों का एहसास मन को सुकून…इनसे किसानों के चेहरों से चिंता वाली लकीरें धुलकर खुशियां खिल जाती हैं तो खेतों की तपती दोपहरी में लहलहाती फसलों की हरियाली वाली तस्वीर उभरने लगती है. अपने अंदर बारिश की बूंदों को समेटे ये मंडराते हुए मेघ कुछ लोगों के लिए राहत तो कुछ के लिए मोहब्बत का पैगाम लाते हैं. कुछ के लिए बचपन की तो कुछ के लिए जवानी की अल्हड़ यादें लाते हैं. प्रेमी से दूर प्रेयसी के विरह की तपिश और बढ़ाते हैं तो कभी दोस्त – सखा बनकर सन्देश पहुंचाते।
ज़िन्दगी के हर कोने को छूने वाले इस मेघ और बारिश की बूंदो से साहित्य भी खूब सराबोर हुआ है. तो आइये मेघों वाले इस मौसम का स्वागत एक अलग अंदाज में करते हैं…