फरमानों की अनादर करना अधिकारिकता का एक बुरा रूप बन रहा है।

पहले के राजाओं महाराजाओं के राज्य और सल्तनतें भी काफी दूर दूर तक फैली होती थी । बड़े से बड़े और छोटे से छोटे सूरमाओं के सल्तनतों में हुक्म देने और हुक्म बजा लाने की फटाफट रवायत थी । हुक्म की नजरअंदाजी और नाफरमानी पर ऐसे कठोर दंड का प्रावधान था जिसे सोचकर रूह काँप जाती थी । शायद यही वजह थी कि हुक्म की नाफ़रमानी करने की मजाल किसी अफसरशाही में नही थी । आज के समय में भी देखा जाए तो अफसरशाही की मुश्कें कसने में पूर्व सी एम मायावती जितनी कामयाब रहीं शायद ही कोई और सी एम उतना कामयाब रहा हो ।

आज इस भीषण प्रचण्ड गर्मी में सूबे के मुखिया द्वारा बिजली विभाग को प्रदेश भर में निर्बाध तरीके से बिजली आपूर्ति का जो आदेश अभी कुछ दिन पहले ही दिया गया था, उस आदेश को भी बाकी आदेशों की तरह नाफ़रमान अफसरों के अहंकार और निकम्मेपन ने रद्दी में फेंक दिया है । जिलों में संचालित अवैध स्टैंड तथा अवैध शराब को लेकर जारी सी एम के आदेश का भी वैसा ही हश्र हुआ है, जैसा हश्र उन आदेशों का हुआ, जिसमे अधिकारियों को अपना सी यू जी नंबर खुद उठाने और 10 बजे सुबह कार्यालय पहुँच जाने के लिए आदेशित किया गया था।

आज यूपी में बिजली सप्लाई की बुरी हालत है । लखनऊ में भी चौदह चौदह घंटे की कटौती जोरों पर है । यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालत बदतर है । जिलों में भी चौदह से अट्ठारह घंटे की करामाती कटौती हो रही है । ग्रामीण क्षेत्रों में तो महज कुछ घंटे ही बमुश्किल बिजली मिल पा रही है । भीषण गर्मी में जनता गर्मी से चित्कार कर रही है और बिजली संकट का हाहाकार मचा हुआ है ।

स्थिति यह है कि हालात से उपजे बदहालियों औऱ मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद भी अफसर नहीं सुधर रहे हैं । आई. ए. एस. अफसरों ने बिजली विभाग का भट्ठा बैठा दिया है ।कहीं कोई कार्रवाई नहीं है और न ही किसी की कोई जबावदेही है । अफसरों के अहंकार और निकम्मेपन ने अन्य व्यवस्थाओं की तरह बिजली व्यवस्था को भी आज कितना पंगु बना दिया है इसका अहसास सबको हो चला है । बिजली विभाग में दर्जनभर से ज्यादा आई. ए. एस. तैनात हैं लेकिन फिर भी बिजली विभाग की मनमानी को नियंत्रित कर पाना टेढ़ी खीर बना हुआ है । बिजली व्यवस्था सुदृढ़ करने की बजाय काम में अड़ंगा लगाने और फाइलों से पैसा बनाने की अफ़सरशाही प्रवृत्ति और दिलचस्पी ने बिजली विभाग का बेड़ा गर्क कर दिया है। बिजली सप्लाई समान्य कैसे हो इसपर ध्यान नहीं है और मंत्री के एक्शन का भी अफसरों पर कोई असर नहीं है । भीषण गर्मी से पूर्व विभागीय तैयारियों का हाल ऐसा है कि गर्मी से पहले ट्रांसफार्मर्स के आयल तक नहीं बदले गए।

आदेशों को अनसुना करने की प्रवृत्ति यदि ऐसी ही बनी रही तो मूसलाधार बरसात से पूर्व बन्धों की मरम्मत की तैयारियों का भी बंटाधार होना तय है । हालात यह हैं कि ओवरलोडिंग और प्रॉपर मेंटेनेन्स के आभाव में रोजाना लगभग हजार से ज्यादा ट्रांसफार्मर दग जा रहे हैं और अफसरान हैं कि आपसी गुटबाजी और अहंकार में भ्रष्टाचार के नए नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैँ । हुक्म की नाफ़रमानी वाली प्रवृति आज अफ़सरशाही में इतना भयंकर रूख अख़्तियार कर चुकी है कि नाफरमान अफ़सरशाही को जिल्ले इलाही , सुल्तान, महाराज जी या मुख्यमंत्री के फ़रमान की नाफ़रमानी का कोई खौफ़ बाकी नही रह गया है ।

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